ना ही रिमझिम सी , ना ही घनघोर सी
एक खामोश से एहसास सी
मखमली बूंदों की चादर सी
खामोशियों में ही सब कुछ कह जाने वाली …
आज कुछ अलग सी है ये बारिश …
कहीं छुपा के रखी हुई यादों को जगाने वाली
सहमी सी , घबरायी सी
खुल के बरसने से शर्मायी सी
हिचकिचाती हुई सी
ठहरी हुई सी
पर बिना ठहराव की ये बारिश …
मन को भर ले अपनी बाहों में
चेहरे को हलके से छू जाए
चेहरे से सीधे दिल में उतर जाए
दिल के खामोश पड़े तारों में
एक सनसनी सी कर जाए
एहसासों को हवा देने वाली …
ऐसी बेताब है ये बारिश…
हलकी हलकी आहटों के बीच चलते कुछ दिल
उन दिलों की बेताबियों को अक्स देने वाली
ना जाने क्यों …
आज कुछ अलग सी है ये बारिश ….